डिप्रेशन से बचना है तो सर्दियों में मीठा कम खाएं

डिप्रेशन से बचना है तो सर्दियों में मीठा कम खाएं

सेहतराग टीम

सर्दियों में छुट्टियों के दौरान घर में रहें या बहार जाएं वह अलग तरह खाना-पीना पसंद करते हैं। ऐसे में लोग हर तरह के व्यंजन चाहे वह मीठा हो या अन्य कोई व्यंजन सबके मजे लेते हैं। लेकिन छुटियों के दौरान ज्यादा मीठा खाना डिप्रेशन का कारण बन सकता है। एक शोध के मुताबिक ऐसे पीड़ितों को खुद पर कंट्रोल रखना चाहिए।

युनिवर्सिटी ऑफ़ कंसास सहित अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के शोधकर्ताओं की टीम ने बताया है कि जाड़ों में लोगों के सोने का पैटर्न बदल जाता है। इस दौरान अगर खाने में शुगर की मात्रा अधिक होती है तो उससे मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। जाड़ों में लोगों को सूरज की रोशनी भी पर्याप्त नहीं मिलती है। इससे अच्छी नींद नहीं आती। नतीजा यह होता है कि 5 से 10 फ़ीसदी लोग डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। यह रिपोर्ट मेडिकल हाइपोथेसिस पत्रिका में प्रकाशित हुई है।

रिपोर्ट के सह-लेखक स्टीफन एलार्दी के मुताबिक सर्दियों में धुप की कमी से नींद पर असर से 5-10 फीसदी लोगों में डिप्रेशन हो सकता हैं। लेकिन सर्दियों में डिप्रेशन के कुछ लक्षण होने पर मीठा खाना उनके लिए हानिकारक हो सकता है।

ज्यादा मीठे से सूजन-

डिप्रेशन में ज्यादा मीठा खाने से सूजन का खतरा रहता है। इलाडी कहते है कि सूजन बढ़ाने वाले हार्मोन्स दिमाग को गंभीर डिप्रेशन में धकेल सकते हैं। डाइट में अलग से शुगर शरीर और दिमाग में सूजन बढ़ने का एक कारण है।

इसलिए होती है मीठा खाने की इच्छा-

शुरू मे यह मूड को बेहतर बनाती इसलिए मरीजों को मीठा खाने की इच्छा होती है। हालांकि ज्यादा मात्रा में शुगर खाने पर मूड खराब भी हो सकता है। इसके अलावा वजन बढ़ने और दूसरे नुकसान भी हो सकते हैं। डिप्रेशन के शिकार लोगों को अपने खाने में उन सभी पोषक तत्वों को शामिल करना चाहिए जिनकी दिमाग को जरूरत होती है। उन्हें ऐसी चीजें खाने से बचने चाहिए जिनका उनके शरीर पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है।

बैक्टीरिया भी हैं जिम्मेदार-

शोधार्थियों ने मनुष्य की आंत में मौजूद बैक्टीरिया पर शुगर के प्रभाव का भी अध्ययन किया है। उनका कहना है कि हमारे शरीर में 10 लाख करोड़ से ज्यादा बैक्टीरिया होते हैं। कुछ बैक्टीरिया फायदेमंद तो कुछ नुकसानदायक होते हैं। फायदेमंद बैक्टीरिया हमारे मस्तिष्क को बताते हैं कि शरीर को कैसे स्वस्थ रखा जा सकता है। लेकिन कुछ बैक्टीरिया ऐसे भी होते हैं जो हमारे भोजन में शामिल अतिरिक्त शुगर पर निर्भर करते हैं। वे शरीर में ऐसे रसायन छोड़ते हैं जिनसे हमारा मस्तिष्क बेचैन हो उठता है और हम तनाव और डिप्रेशन में आ जाते हैं। शोधार्थियों ने लोगों को छुट्टियों में ही नहीं, बल्कि पूरे साल प्रोसेस्ड फूड कम से कम खाने की सलाह दी है।

खबर साभार: अमर उजाला

 

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